सच ही जाने सच क्या है झूठ तो बदलते रहता है,
लाख़ मिला लो हाथ उनसे दिल धड़कते रहता है!
रोशन कर लो घर अपना जब चाहे चिराग़ जला दो,
ख़ामोशी में बीन बरसात ही बादल बरसते रहता है!
ख़ुब बदल लो शक़्ल अपनी आईना सच कहता है,
शीशा ए दिल शीशे में ख़ुद दिल बहलातें रहता है!
सब कुछ तो ख़ुदा जाने बाकी तुम हम किरदार हैं,
चाँद हँसता है छुप छुप कर परदा सरकते रहता है!
मुझको अब यकिन हुआ है के यह ख़याल अच्छा हैं,
बहते हुए पानी में ख़ुद ब ख़ुद पत्थर बदलते रहता है!
झ़ील